“बहुत होगय रात का पहरा,
अब चलो तोडा सा सवेरा ढूंढे.
ढलते हुए सूरज में बहुत जी लिया,
अब चलो रौशनी में बसेरा ढूंढे.
जुगनुओ से दोस्ती बहुत हो चुकी अब,
अब चलो तितलियों संग मधुर दुबारा ढूंढे.
अकेले तू कब तक चलेगा रे बन्दे,
अब चल दूर तक जाने का सहारा ढूंढे.
बहुत होगय है रात का पहरा,
अब चलो तोडा सा सवेरा ढूंढे.”